भगवती सेवा संस्थान चित्तौड़गढ़ की यूनिट सेवा आश्रम भीलवाड़ा मे आयोजित हुआ दीपोत्सव
भीलवाडा। बौद्धिक दिव्यांग बच्चों की देखरेख एवं पढ़ाई के माध्यम से उन्हें सुसंस्कारित करना ईश्वर की सेवा के बराबर है। यह विचार भगवती सेवा संस्थान चित्तौड़गढ़ की यूंनिट सेवा आश्रम भीलवाड़ा द्वारा ऐसे बच्चों के मध्य आयोजित दीपोत्सव एवं महापुरुषों की वेशभूषा प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्य पल्लवी लढा एवं मोनिका गर्ग ने निर्णायक की भूमिका निभाते हुए कहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था अध्यक्ष मधुबाला काबरा ने की। मुख्य अतिथि मोहन भंडारी रहे। विशिष्ट अतिथि ओम प्रकाश तोषनीवाल, रामगोपाल ओझा, मंजू पोखरना, दिनेश मेहता ने भी अपने विचार प्रकट किए।
सचिव गिरीश अग्रवाल बताया कि यह अवसर था सेवा आश्रमभ द्वारा संचालित बौद्धिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र पर ऐसे बच्चों के मध्य दीपोत्सव एवं ऐसे बच्चों के मध्य महापुरुष वेशभूषा प्रतियोगिता का। कार्यक्रम में महालक्ष्मी का पूजन किया गया। बच्चों के मध्य प्रतियोगिता मैं बच्चे श्रीराम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, लव कुश, साबरी की वेशभूष पहन कर आए जो अत्यंत ही आकर्षक लग रहे थे। मंदबुद्धि होते हुए भी बच्चों ने जय श्री राम, जय हनुमान के उदघोष एवं मेरी झोपड़ी में राम आएंगे… एवं अन्य भजनों से सभी का मन मोह लिया।
संस्था संरक्षक गोविंद सोडाणी ने कहा की गरीब और असहाय की सेवा और मदद करना ही मानव का कर्तव्य है। ईश्वर ने यदि हमें कुछ दिया है तो उसे अपने तक न सीमित रखें। दिव्यांगों के प्रति संवेदनशील होना ही ईश्वर की सेवा करना है। प्रतियोगिता दो वर्ग 15 वर्ष से कम एवं अधिक उम्र के बच्चों में रही। प्रथम द्वितीय आने बच्चों को पुरस्कृत किया गया। सभी बच्चों को सहभागिता का के मोमेंटो दिए। बच्चों ने दीप जलाए, फुलझड़ियां छोड़ी एवं भजनोंक साथ डांस किया। भोजन कचोलिया परिवार द्वारा कराया गया।
संस्था की ओर से बच्चों को उपहार में मिठाई का पैकेट, कंपास बॉक्स, कैनवास कलर, स्केच कलर दिए गए। कार्यक्रम में संस्था संरक्षक रामेश्वरलाल काबरा, कार्यकारिणी सदस्य ओम प्रकाश जागेटिया, ओमप्रकाश कोगटा, रजनीकांत आचार्य सुधा जैन, प्रेमलता ओझा शिक्षक गणों में आशा काबरा, निहारिका तोषनीवाल की उपस्थिति रही। कार्यक्रमक का सफल संचालन शिखा अग्रवाल ने किया।
रिपोर्ट - पंकज पोरवाल