Bhilwara में निकला राष्ट्र सेविका समिति का पथ संचलन, शहरवासियों ने बरसाए फूल
राजस्थान की वस्त्रनगरी भीलवाड़ा (Bhilwara) में राष्ट्र सेविका समिति की ओर से प्रतिवर्ष की भांति निकलने वाला पथ संचलन रविवार को नगर परिषद ग्राउंड से निकला। बड़ी संख्या में मातृशक्ति ताल और घोष के साथ कदम मिलाते हुए शामिल हुई। दोपहर साढ़े 3 बजे प्रचल की आज्ञा के साथ पथ संचलन चित्रकूट धाम से आरंभ होकर संकटमोचन बालाजी मंदिर, गोल प्याऊ चौराहा, नेताजी सुभाष मार्केट, इंद्रा सर्किल, देहली स्वीट्स, भोपाल क्लब, सूचना केंद्र, बालाजी मार्केट, गोल प्याऊ, रेलवे स्टेशन (अंबेडकर सर्किल), राजेंद्र मार्ग, चाणक्य सर्किल होते हुए पुनः चित्रकूट धाम पहुंचकर संपन्न हुआ।
पथ संचलन से पूर्व दोपहर 2.30 बजे शाखा एवं उद्बोधन का कार्यक्रम चित्रकूट धाम में हुआ, जिसमें मंच पर मुख्य अतिथि रुचि सोमानी, राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सेवा प्रमुख एवं मुख्य वक्ता संध्या दीदी एवं भीलवाड़ा विभाग कार्यवाहिका मनीषा जाजू की उपस्थिति रही। अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख वंदना वजीरानी दीदी की सम्मानित उपस्थिति रही।
मुख्य वक्ता राष्ट्र सेविका समिति के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख संध्या दीदी का पाथेय हुआ। उन्होंने मातृशक्ति को देश के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाई। उन्होंने नारी को अबला नहीं सबला बनकर हर चुनौती का सामना करने और मुसीबत आने पर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा की भारत की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। समय समय पर शक्ति प्रदर्शन करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। पथ संचलन यानी एक दूसरे से कदमताल मिलाकर चलना है। एक विचार से, एक ध्येय से चलना है। समिति का मुख्य ध्येय तेजस्वी राष्ट्र का पुनर्निर्माण करना है।
पथ संचलन की शुरुआत में हाथों में भगवा ध्वज लिए बाइक सवार मातृशक्ति सबके आकर्षण का केंद्र रही। संचलन में भीलवाड़ा सहित मांडल, शाहपुरा, आसींद, जहाजपुर, बीगोद, कोटड़ी, बनेड़ा, गुलाबपुरा, करेड़ा, रायपुर, त्रिवेणी, गंगापुर, हुरड़ा आदि जिले के 25 स्थानों से कुल 712 सेविकाओं ने भाग लिया। सहकार भारती द्वारा सभी सेविकाओं को अल्पाहार और भोजन के पैकेट वितरित किए गए। इस मौके पर कई स्थानों पर स्वागत द्वार बनाए गए। साथ ही दुर्गा वाहिनी, विश्व हिंदू परिषद, दुर्गा शक्ति अखाड़ा, भारत विकास परिषद, वनवासी कल्याण परिषद सहित विभिन्न संगठनों ने संचलन का भव्य स्वागत किया।
6 घोष गण के साथ बाल, तरूणी, गृहिणी और प्रौढ़ वर्ग की कुल 30 वाहिनियों में 5 वर्ष से 80 वर्ष तक की मातृशक्ति जब कदम से कदम मिलाकर चल रही थी, तो संगठन में शक्ति है की उक्ति को सार्थक करता ये दृश्य अद्भुत था। नन्ही नन्ही बालिकाओं को इतने लंबे मार्ग पर उत्साह के साथ कदमताल करते देख दर्शक भावविभोर हो गए। साथ ही भारत माता की जय, वन्दे मातरम् के जय घोष गूंजते रहे। जागरूक टाइम्स के लिए भीलवाड़ा से पंकज पोरवाल की रिपोर्ट
रिपोर्ट - पंकज पोरवाल