चार सम्प्रदाय वैष्णव समाज के सामुहिक विवाह में 21 जोड़े बने हमसफर
सांडेराव। चार सम्प्रदाय वैष्णव समाज सामुहिक विवाह समिति गोड़वाड की और से समाज के आठवें सामुहिक विवाह में मंगलवार को प्रचीन तीर्थ स्थल श्री निंबेशवर महादेव मंदिर परिसर में महंत मगनीदास जी महाराज गोपाल द्वारा जैतारण एवं महंत श्री लक्ष्मणदास महाराज नृसिंह द्वारा सेवंत्री की पावन निश्रा में 21 नव युगलों ने वैदिक मंत्रों उच्चारण के बीच अग्नि के समक्ष सात फेरे लेकर परिणय सुत्र में बंधे एवं जीवन भर साथ निभाने का संकल्प लिया।
चवरी मण्डप के प्रवेश द्वार पर दुल्हन परिवार की महिलाओ ने मारवाड़ी गीतों के साथ कुंकुम का तिलक लगा कर भुआ आरती करते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित अर्जुन व्यास व आचार्य जितेन्द्र व्यास द्वारा वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ विवाह की सभी रस्मे पूरी करवाई गई।विवाह समिति के अध्यक्ष पुखराज टीलावत खागडी की अध्यक्षता में नवदम्पतियों को आशीर्वाद देने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में राजेंद्र वैष्णव बाली,विशेष अतिथि डॉ गोपाल दास वैष्णव भीनमाल, भंवर लाल डेंडा,रतनदास वैष्णव बैंगलोर,सांवलदास वैष्णव फालना,जसवंत दास खिंवादी,भैरु दास मुण्डारा,रुप दास वैष्णव नोरवा,भंवर दास अनोपपुरा,हितेश रामावत नारलाई,हरिश वैष्णव के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ समाजबंधु नवदम्पतियों को आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित थे।
आयोजन में दिखा अनुशासन
चार सम्प्रदाय वैष्णव समाज के सामुहिक विवाह समारोह में संस्कारों की गरिमा के साथ विभिन्न व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए सामुहिक विवाह समिति की और से प्रवेश पत्र जारी किए गए थे,जो बारातियों-धरातियों के साथ आयोजनकर्ताओं ने लगा रखें थे।विवाह स्थल पर सुबह सभी बरातो के पंहुचने पर दूल्हे-दुल्हन के सगे-संबंधियों ने एक दुसरे के गले मिलकर आपस में फुलमालाओ के साथ रंग-गुलाल डालकर मिलणी की वही सभी दूल्हों ने एक साथ तलवारों से तोरण मार कर तो भुआओ ने भुआ आरती के साथ दूल्हे की सांसु मां ने दूल्हों के कुंकुम से तिलक कर वदावदने किए।
पुष्प वर्षा के साथ बारातियों का हुआ स्वागत
विवाह स्थल पर सुबह सभी बरातो के पंहुचाने पर सामुहिक विवाह समिति के सदस्यों एवं समाज बंधुओं ने फूल बरसा कर सभी समाज बंधुओं का जोरदार उत्साह के साथ स्वागत किया। इसके बाद सभी दूल्हे-दुल्हनो की सामुहिक बंदोली बैणडबाजो व ढोल-थाली के साथ गाजों बाजो के साथ निकली गई।बंदोली में सभी बाराती-धरातियों के साथ युवक-युवतियां मस्ती में नाचते-गाते हुए करीब 7 बजे तोरण द्वारा पर पहुंचे।विवाह स्थल पर दुल्हन परिवार की महिलाएं राजस्थानी लोक गीत गाते हुए सभी दूल्हों का स्वागत किया।उसके बाद पौराणिक परंमपरा व हिन्दू संस्कृति के साथ शादी की रस्मे निभाते हुए अग्नि के समक्ष सात फेरे लेकर एक-दूसरे ने जीवन भर साथ निभाने की सौगन्ध खाई।
विदाई के दौरान छलके आंसू ।
विवाह समारोह के दौरान शाम 4 बजे करीब दुल्हनो को विदाई देते समय उपस्थित समाज बंधुओं के साथ उनके माता-पिता की आँखों में खुशी के आंसू छलक पड़े।उन्होंने अपनी बेटियों को खुशी-खुशी विदा किया।विवाह स्थल पर बारातियों के साथ अन्य नागरिकों के लिए जगह-जगह पर शीतल पेयजल,विश्राम के लिए छाया,भोजन-प्रसादी सहित अन्य सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध की गई थी।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ का संकल्प दिलाया।
विवाह समारोह पूरी तरह से नशा मुक्त रखा गया,साथ ही कार्यक्रम में समाज बंधुओं सहित समारोह में शरीक लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विवाह स्थल पर जगह जगह नशा मुक्ति, बेटी बचाओ बेटी पढाओ,विवाह एक नई जिम्मेदारी,नव दम्पति को जिसे निभाना है सहित समाज के बैनर तथा प्रदर्शनी लगाई गई।इस समारोह में उपस्थित सभी समाज बंधुओं को एक साथ संत- महात्माओं की और से बेटी बचाओ बेटी पढाओ का संकल्प दिलाया गया।
भामाशाहो के साथ अतिथियों का हुआ बहुमान।
विवाह समारोह के दौरान आयोजित स्वागत समारोह में उपस्थित सभी भामाशाहो के साथ अतिथियों का आयोजन कमेटी की और से कुंकुम से तिलक कर श्री फल देकर राजस्थानी परंमपरा के अनुसार साफा व चुनरी ओढ़ाकर फुलमालाओ के साथ जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान पुखराज मोरखा,केशव दास नाडोल,तुलसी दास जालोर, मोहन दास,राजेश पुनाडिया, घीसुदास किरवा,जयराम दास, नरपत दास,दुर्गाप्रसाद चाचोड़ी,कपूरदास रानी,कैलाश भैसवाड़ा,सोहनदास,भंवरदास, बद्रीप्रसाद,घीसूदास किरवा, प्रवीण वैष्णव बाली, राजुदास माताजी गुड़ा, ईश्वरदास सुमेरपुर,सुरेशदास, भीकमदास तखतगढ़,कानदास रानी, बद्रीदास रानी गांव,दिनेश देसूरी सहित समाजबंधु सेवा कार्य में सदस्यों के साथ समाजबंधु उपस्थित थे। पूरे कार्यक्रम का मंच संचालन हितेश रामावत नारलाई व डॉ प्रवीण वैष्णव बाली ने किया।
रिपोर्ट - नटवर मेवाड़ा