Washington DC Plane Crash: टक्कर से 30 सेकंड पहले क्या हुआ? ATC ऑडियो में दर्ज हुआ खौफनाक पल
Washington DC: वॉशिंगटन डीसी में बुधवार को एक यात्री विमान (Plane) और सैन्य हेलिकॉप्टर के बीच हुई टक्कर (crash) ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर एयर ट्रैफिक कंट्रोल की प्रतिक्रिया को लेकर। हादसे के वक्त टावर से मिले ऑडियो रिकॉर्डिंग में यह सामने आया कि संभावित टकराव से कुछ सेकंड पहले तक विमान और हेलिकॉप्टर के बीच संपर्क नहीं हो सका।
कैसे हुआ हादसा? ATC ऑडियो रिकॉर्डिंग से हुआ बड़ा खुलासा
हादसे से 30 सेकंड पहले, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर ने हेलिकॉप्टर से पूछा:
"PAT25, क्या आपको CRJ विमान दिख रहा है?"
जब कोई जवाब नहीं मिला, तो कंट्रोलर ने दूसरा संदेश भेजा और हेलिकॉप्टर को निर्देश दिया कि "CRJ के पीछे से गुजरो।"
हालांकि, हेलिकॉप्टर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, और कुछ ही सेकंड में दोनों विमान आपस में टकरा गए।
इसके तुरंत बाद, एक अन्य पायलट ने कंट्रोल टावर से पूछा:
"टावर, क्या आपने देखा यह क्या हुआ?"
इस हादसे के तुरंत बाद, अन्य विमानों को डायवर्ट कर दिया गया ताकि किसी और दुर्घटना की संभावना न रहे।
वॉशिंगटन डीसी प्लेन क्रैश: अब तक 28 शव बरामद
इस दुर्घटना में PSA एयरलाइंस द्वारा संचालित क्षेत्रीय जेट शामिल था, जिसमें 64 लोग (यात्री और क्रू मेंबर) सवार थे। वहीं, अमेरिकी सेना का ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर, जो सैन्य अभ्यास पर था, उसमें तीन सैनिक सवार थे।
वॉशिंगटन के फायर चीफ जॉन डॉनेली ने बताया कि इस भयानक हादसे में किसी के भी जीवित बचने की संभावना बेहद कम है। अब तक 28 शव बरामद किए गए हैं, और बचाव कार्य अभी भी जारी है।
रात 9 बजे हुआ हादसा, पानी में गिरा विमान और हेलिकॉप्टर
फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, यह हवाई टक्कर रात 9 बजे हुई, जब विचिटा, कंसास से आ रहा एक क्षेत्रीय विमान रनवे पर लैंड करने की तैयारी में था, और उसी समय एक सैन्य हेलिकॉप्टर भी अभ्यास के दौरान वहां पहुंचा।
क्यों मुश्किल हुआ बचाव अभियान?
बचाव अभियान बेहद कठिन परिस्थितियों में चलाया गया। वॉशिंगटन के मेयर बाउजर ने बताया कि घटना स्थल पर घना अंधेरा और ठंड थी, जिससे बचाव कार्य और मुश्किल हो गया।
फायर चीफ जॉन डॉनेली के अनुसार, "पानी करीब आठ फीट गहरा था, तेज हवा चल रही थी और बर्फ के टुकड़े भी पानी में थे, जिससे ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया।"
अधिकारियों ने इसे अब तक के सबसे कठिन बचाव अभियानों में से एक बताया है। खोज और बचाव अभियान अभी भी जारी है।